Monday, 29 May 2017

" जो कुछ करना है आप ने ही करना है ....."। ज्योति क़ौल  : बनस्थली डायरी 

" जो कुछ करना है आप ने ही करना है , हमने क्या करना है ......"

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बनस्थली डायरी : ज्योति कौल की बाबत .

ऊपर लिखा वाक्य बनस्थली में हमारे यहां आए एक अतिथि ने तब कहा था जब वो ज्योति को साथ लेकर मिलने आए थे . ये एक ऐसा वाक्य है जो न केवल मुझे बार बार याद आ जाता है वरन मैं इसे वक्त बे वक्त मिलता जुलता प्रसंग आने पर दोहराता भी हूं .


अतिथि का परिचय :

______________ आगंतुक अतिथि का इतना ही परिचय यहां काफी होगा कि वो एस ओ एस बाल ग्राम के चंडीगढ़ कैम्पस के डायरेक्ट और ज्योति कौल के अंकल थे और ज्योति को साथ लेकर आए थे जो उन दिनों उनके बाल ग्राम में जा रही थी . ज्योति इस संगठन की सबसे बड़ी हस्ती कौल साहब की बेटी थी . शायद कौल साब उस समय बाल ग्राम संगठन के डायरेक्टर जनरल थे .

आगंतुक मुझे जता रहे थे कि लड़की के जीवन में सभी बातों के फैसले लेने हैं जैसे नौकरी , शादी और इसका भावी जीवन का मार्ग . अपनेअध्ययन के अंतिम पड़ाव में वो मेरे और मेरे परिवार के सर्वाधिक संपर्क में आई थी और इस सब के चलते ज्योति के बारे में मेरी जिम्मेदारी को अपने से अधिक बताकर एक प्रकार से आदर ही दे रहे थे .


ज्योति का परिचय और हमारे परिवारों से जुड़ाव :

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बाल ग्राम से ज्योति बनस्थली कब पढ़ने आई ये बताना तो मेरे लिए संभव नहीं पर इतना याद है कि बी ए , एम ए कक्षाओँ की पढ़ाई के बाद एम फिल की पढ़ाई के दौरान जब बच्चों को अपने लिए एक एक सुपरवाइजर और शोध विषय चुनने का समय आया तो अजय राय की सलाह पर ज्योति मेरे निर्देशन में आई और असंलग्नता आंदोलन के किसी पहलू पर उसने प्रबंध तैयार किया था . अजय राय कुछ समय से बनस्थली में रहे थे , मेरे अच्छे मित्र बन गए थे और आगे चलकर बाल ग्राम जयपुर के डायरेक्टर बने थे .


एक बार की बात :

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हम लोग इंद्रा कालोनी से शहर के मकान लौट रहे थे कि जीवन संगिनी ने ये घोषित कर दिया कि एस ओ एस बाल ग्राम होकर ही घर चलेंगे . देखे तो सही कि हमारी बेटी कैसे है , ज्योति से मिलने के लिए रास्ते में रुकना जरूरी था .


वो बात तो रह ही गई ......

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जब चंडीगढ़ से चलकर ज्योति आई तो तो काम दिलाने के लिए तो जो कुछ सलाह और सिफारिश मैं दे सकता था वो उपलब्ध कराई ही , विवाह के प्रसंग में मैंने जो कहा वो यहां रेखांकित करता हूं .


" अगर तुम्हारी निगाह में कोई लड़का है तो हमें बता दो ......मैं लडके वालों से आगे बढ़कर बात करूंगा . अगर हमें लड़का ढूंढना है तो वैसा कह दो जो मेरे द्वारा लिए गए साक्षत्कार में खरा उतरेगा उसको तुम्हारे पापा और अंकल से मिलवाऊंगा ."  

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ज्योति न केवल मुझे वरन जीवन संगिनी को आज भी याद आती है और याद आता है उसके अंकल का वो वाक्य जो उन्होंने उस दिन कहा था और कितना अपनत्व दिया था .


विलंबित प्रातःकालीन सभा स्थगित .

इति .


सह अभिवादन और सतत समर्थन :

Manju Pandya

सुमन्त

गुलमोहर कैम्प, जयपुर .

29 मई 2015 .

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आज दिन जयपुर से ब्लॉग पर प्रकाशित :

सोमवार २९ मई २०१७ ।

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