Sunday, 7 May 2017

विशाल की बाबत :  बाप बेटे का संवाद  

गोल्डन हाईट्स में किप्पर के साथ ये तो है मेरी फ़ोटो और अब जोड़ता हूं  विशाल के बाबत एक क़िस्सा ।

विशाल की बाबत  : बाप बेटे की बात ।

आज की चर्चा का नायक विशाल * है . पेरिस का फेरा लगा आना उसकी ड्यूटी का पार्ट है , फ्रांसीसी पर्यटक उसके भरोसे भारत भ्रमण करते हैं . गजब की शायरी लिखता है , जयपुर शहर से प्यार करता है पर मैं याद करता हूं पुरानी बातें जब वो पढ़ता था और शहर में रहता था .


विशाल रहता था मिस्त्रीखाने के रास्ते में और आता जाता रहता था हमारे शहर वाले घर में हिमांशु के पास . दोनों राजस्थान विश्वविद्यालय से एम ए कर रहे थे . अम्मा का प्यार और फटकार दोनों को बराबर हासिल थे .

विशाल तब भी बड़े बढ़िया शेर लिखता था और अब भी लिखता है .


उन दिनों घरों में बी एस एन एल के लैंड लाइन फोन हुआ करते थे . विशाल के घर में भी फोन था और हमारे घर में भी फोन लग चुका था . अम्मा समाचार की उम्मीद में अक्सर फोन के पास जा बैठती थी , उस बारे में फिर कभी बताऊंगा अभी बात विशाल की चल रही है वही बताता हूं .


ये एक टेलीफोन संवाद है जो मैं आज सार्वजनिक कर रहा हूं तनिक संकोच के साथ . मैं बनस्थली से चलकर जयपुर आया ही था कि विशाल का फोन आया हिमांशु को पूछने को . मैं तो उसकी आवाज पहचान गया पर जाहिर है वो मेरी आवाज नहीं पहचान पाया फिर जो कुछ हुआ वो संवाद से स्पष्ट है :

विशाल -"....हैलो...अरे हिमांशु."

इधर से _" नहीं है ..."

विशाल_ " कौन...उदय ?"

इधर से_'" नहीं है ."

विशाल _" जय ?"

इधर से_" नहीं...है ."

विशाल __"कौन..छुटकू ?"

इधर से _" नहीं है ."


याने इस घर में जो जो उपलब्ध हो सकते थे विशाल ने सब के ही तो नाम लेकर पूछा पर कोई भी तो नहीं मिला और आखिर में उसने एक बहुत ही सीधा सवाल पूछ लिया :


"...तो फिर कौन बोल रहा है ...?"


और अब जो मैं बोला वो मुझे आज तक याद है :


" विशाल कपूर *......तुम्हारे बाप बोल रहे हैं ."


बच्चा शायद थोड़ा चमका ये जवाब सुनकर पर तुरंत सहज हो गया और बोला:

" अरे...अंकल आप कब आए ..?"

पर शायद उस दिन आखिरी बार विशाल मुझे ' अंकल ' बोला . उसके बाद से वो मुझे "पापा" ही कहता है और जीवन संगिनी को " मम्मी" कहता है . 

अब ये बात आप लोग जान ही गए कि फेस बुक पर अपने जन्म देने वाले माता पिता के समकक्ष इन माता पिता को कब से और क्यों रखने लगा है विशाल ?

कुछ और बातें जो जीवन संगिनी इस बाबत जुड़वाना चाहती थीं वो इस पोस्ट में नहीं आ पाई वो फिर आगे कभी आ जाएंगी .

आज ही हिमांशु ** की भी एक पोस्ट देख रहा हूँ , नायक उस का भी विशाल ही है , अजब संयोग है .

इस किस्से को सार्वजनिक करने को विशाल बुरा नहीं मानेगा इस उम्मीद के साथ प्रातःकालीन सभा स्थगित .

इति.


सुप्रभात .

सहयोग और समर्थन : मंजु पंड़्या ।


सुमन्त

आशियाना आंगन, भिवाड़ी .

8 मई 2015 .

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आज का अपडेट जयपुर से दिनांक 8 मई 2016 .

------ गए बरस भिवाड़ी में थे तब लिखी थी ये पोस्ट इसमे आए संवाद देखने लायक हैं 

आज फिर भिवाड़ी जाने की ही बात हो रही है . सब कुछ चाहा जैसा हो गया तो शाम को चले ही जाएंगे भिवाड़ी और कल से प्रातःकालीन सभा वहीँ से संचालित होगी .

आज तो ये विशाल का किस्सा फिर से देख लीजिए , आजकल पड़ोस में ही गोल्डन हाइट्स पर रहता है और हम वहां कभी भी चेक इन कर सकते हैं पैदल पैदल जाकर भी .

अब फिर कोई ये मत पूछना के कौन है विशाल कपूर .

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सुप्रभात


सुमन्त पंड्या .

@ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .

रविवार 8 मई 2016 .

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आज दिन दिल्ली से ब्लॉग पर प्रकाशित जयपुर डायरी का ये प्रसंग ।

सोमवार ८ मई २०१७ ।

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विशाल के घर हम लोग । फ़ाइल चित्र ।

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