" बाजा देखने जाएंगे
सीटी बजाते जाएंगे
हल्ला करते जाएंगे
गुल्ला करते जाएंगे
उर्वी को ले जाएंगे
नूनू को ले जाएंगे..."
और आगे कहता है हिमांशु :
मुझे तो यह सीटी वाली लाइन ही सबसे अच्छी लगती थी/है क्योंकि इसमें बच्चे की मस्ती पर कोई रोक टोक नहीं है, इच्छा हो तो सीटी बजाओ , जो चाहे करो.
ये बात बाल गीत पर आई टिप्पणियों में से ली है और अब आएगी मूल पोस्ट वार्षिक संशोधनों के साथ :
बज्जी बज्जी चले जाएंगे .....
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कितने बच्चे गए तीस सालों में बड़े हो गए मेरा बनाया ये बाल गीत सुनकर :
" सूट का कपड़ा लाएंगे .
और रैक्स के सिलवाएंगे ,
पहन के बज्जी * जाएंगे .
बाजा देखने जाएंगे ,
छुटकू को ले जाएंगे ,
जय को ले जाएंगे ...
बाजा देखने जाएंगे ,
बज्जी बज्जी चले जाएंगे ...., "
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*बज्जी माने बाजार .
पीढ़ियां बदल गईं पर ये प्रयाण गीत बाल गोपालों के लिए प्रचलित रहा है मेरे घर में . आज केवल रैक्स टेलर का उल्लेख .
नाहर गढ़ की सड़क , जयपुर में राम अवतार जी ने दूकान खोली . कुशल दर्जी होते हुए भी ज्यादा काम अभी आता नहीं था उनके पास . मस्कट में काम कर के आए थे पर स्वास्थ्य कारणों से स्वदेश लौट आए थे और कारोबार जमाने की कोशिश कर रहे थे . मैं खादी का ब्राउन सूट का कपड़ा लेकर पहुंचा था . बोला था :
"माट साब , मेरा सूट सिल दोगे क्या ?
"जुरूर " वो बोले .
और इस प्रकार मैं सूट सिलवाने वाला पहला ग्राहक बन गया .
मैंने राम अवतार जी को यह भी सुझाव दिया कि दो हफ्ते तक मेरा सूट शो केस में टांकें ताकि ये देखकर और ग्राहक आकर्षित और प्रेरित हों .
और इस प्रकार राम अवतार जी मेरे ड्रैस डिजाइनर बने उन दिनों . गर्मी के लिए कई एक सफारी सूट भी उन्होंने ही सिले .
अब तो उनका बेटा पुलिस अधिकारी बन गया . राम अवतार जी ने भी शायद अवकाश ले लिया .
बाल प्रयाण गीत की शीर्ष पंक्तियों का ये है छोटा सा इतिहास .
अब इसमें धीरे धीरे भागीगार पात्र बदलते जा रहे हैं , गीत वही चला आ रहा है :
" उर्वी को ले जाएंगे , रघु *को ले जाएंगे .
चिंटू को ले जाएंगे , चिंकू को ले जाएंगे .
नूनू को ले जाएंगे , सैमू को ले जाएंगे .
उन्नी को ले जाएंगे , बज्जी बज्जी जाएंगे ."
"विभू **को ले जाएंगे , मानू को ले जाएंगे ."
मुन्नू पप्पू बन जाएंगे , बज्जी बज्जी चले जाएंगे ."
इस प्रकार ये एक समावेशी गीत है .
ये है दावते शीराज .
हमसफ़र मिलते गए और कारवां बनता गया .
नोट :
कल की पोस्ट में गोपाल टेलर का विशेष उल्लेख था ,तिस पर अनुजAnuj Bhatthatt) का सुझाव आया कि अगली पोस्ट रैक्स टेलर पर बनाई जानी चाहिए आखिर वह हमारे बाल गीत में गाए जाते हैं .
विशेष आभार अनुज आज की पोस्ट के सन्दर्भ के लिए .
बालक वृन्द भी सराहेंगे यह आशा है Raghu BhatthattVibhu Dixitixit.
सुप्रभात .
सह गायन : मंजु पंड़्या ।
सुमन्त पंड्याSumant Pandyandya)
अशियाना आँगन , भिवाड़ी .
3 मई 2015 .
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😊😊 अपडेट 3 मई 2016 जयपुर .
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आज एक वर्ष बाद फेसबुक ने जब इस बाल गीत संबंधी पोस्ट की बात याद दिलाई तो मेरा यह विचार बना कि इस स्टेटस पर फिर से चर्चा चलाई जाए .
एक सुखद संयोग गए बरस यह भी रहा था कि इसी दिन संज्ञा की बाल गीत संबंधी पोस्ट भी प्रकाशित हुई थी जिसमें बताया गया था कि उनके घर में भी प्रातःकालीन सभा में मित्रवर उपाध्याय जी के बनाए बाल गीत पुनः गए गए , दोहराए गए और बचपन को याद किया गया . हिमांशु ने बाल प्रयाण गीत में ," सीटी बजाते जाएंगे " " हल्ला मचाते जाएंगे " " गुल्ला मचाते जाएंगे जैसी बातें जोड़कर गीत को खूबसूरती से अपडेट किया .
उर्वी जैसे बच्चों ने तो मुझे ही बज्जी नाना कहना शुरु कर दिया था ये बात भी आई थी .
प्रमोद जो बाल गीतों का एक उल्लेखनीय रचयिता है उसने तो नूनू - सैमू के लिए बालगीत भेज दिए थे , कित्ता अच्छा लगा था उस दिन .
अब आज मैं फिर से चाहूंगा कि संज्ञा भी यहां अपनी उस पोस्ट को साझा कर देवें जिसका संकेत फेसबुक दे रहा है .
रैक्स टेलर को फिर से याद करते हुए आज फिर से ये पोस्ट चर्चा के लिए जारी .
समस्त बाल गोपालों को हम दोनों , किसी के नाना - नानी और किसी के बाबा अम्मा के आशीर्वाद .
😊😊
सुप्रभात
सुमन्त पंड्या . Sumantpandya
मंजु पंड्या .
@ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .
मंगलवार 3 मई 2016 .
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#स्मृतियोंकेचलचित्र
आज दिन डूंगरपुर से फिर से प्रसारित ये पोस्ट :
बुधवार ३ मई २०१७ ।
जय भोलेनाथ । 🔔🔔
नोट : क्या ये बाल गीत ब्लॉग पर भी जोड़ दिया जाय ? बताइए ।
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सर्वानुमति के आधार पर आज ये पोस्ट ब्लॉग पर प्रकाशित ।
बुधवार ३ मई २०१७ ।
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