गुरु - शिष्य संवाद : 😊😊 कल की बात .
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#जयपुरडायरी #sumantpandya
कल सुबह अनायास जनता स्टोर पर स्टेशनर की दूकान पर खड़े दिखे प्रोफ़ेसर रमाकांत . मेरे गुरु , बच्चों तुम्हारे दादा गुरु . इन्होंने मुझे मेरे विषय का पहला पाठ पढ़ाया जब मैं राजस्थान कालेज पढने गया . ऐसे थोड़े ही तो लोग हैं जिन्हें मैं पैरों में झुक कर प्रणाम करता हूं .
अल्प उपलब्ध समय में बहुत थोड़ी तो बात हुई पर हो गई बात
“ सर , प्रणाम करता हूं .” मैं बोला .
मुझे आवाज से पहचान कर पीछे मुड़े गुरुदेव बोले :
“ आ हा सुमन्त कैसे हो ? “
“ सर आपके यहां आना चाहकर भी आ नहीं पा रहा हूं , कुछ मुसीबत से घिरा हूं .”
संवाद में नुक्ता ये भी है कि रमाकांत सर पार्क व्यू अपार्टमेंट्स में चौथी मंजिल पर रहते हैं , उनके चेले भी अब सीनियर सिटीजन हैं तो आप नुक्ता समझ सकते हैं .
अब सुनिए गुरु की बात :
“ ऐसा करो सुमन्त , मुसीबत के साथ आ जाओ ! “ 😊😊
और तब मैं बोला :
“ सर अभी हाल मुसीबत को सीढ़ी चढ़ना मने है . ये भी तो दिक्कत है . “
पर गुरु की उदारता देखिए , गुरु गुरु ही रहेंगे , दिया नहले पर दहला और बोले , वो बोले :
“ कोई बात नहीं सुमन्त , मुसीबत से मिलने मैं नीचे आ जाऊंगा “
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सुप्रभात .
सुमन्त पंड्या .
सह अभिवादन : मंजु पंड़्या ।
@ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .
रविवार 8 मई 2016 .
आज दिन दिल्ली से प्रकाशित ये ब्लॉग पोस्ट
सोमवार ८ मई २०१७ ।
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