ट्राफिक जाम
_________
मेरे साथ ऐसा होता है , सब कोई के साथ नहीं भी होता होगा . मेरे साथ ही होता है ऐसा , मैं मानता हूं , मैं वैसे भी जीवन संग्राम का पैदल सिपाही हूं और हूं अकल से भी पैदल . जब मैं ट्राफिक जाम की कहता हूं तो मेरे भाई दोनों और जीवन संगिनी ही मेरी बात नहीं समझ पाते और लोग तो क्या ही समझेंगे भला .
ये ट्राफिक जाम कोई टोंक रोड पर नहीं होता , किसी भी और सड़क पर नहीं होता जहां होता है वो जगह है मेरा मन मस्तिष्क . इस क्षेत्र तक या तो मेरी अपनी पहुंच होनी चाहिए या मेरे स्वजनों की . पर कभी कभी इस जाम को न तो मैं सुलझा पाता हूं न स्वजन समझ पाते हैं बाकी दुनियां को तो मतलब ही क्या है सब अपनी अपनी दुनियां के वासी हैं . इस जाम को न समझने पर स्वजन भी पराए से लगने लगते थे .
अतिरिक्त स्पष्टीकरण :
जाम का स्वरूप :
कई सारे बकाया काम सामने आकर खड़े हो जाते हैं और लगता है इस जीवन में तो क्या ही निबटेंगे ये काम ? कभी लगता है जो होगा जो हो जाएगा जो नहीं होगा पड़ा रहे बकाया , अपने को क्या करना है , सब काम का ठेका लेवो ही क्यों .
कभी कभी स्वजनों से मिला छोटा सा सुझाव किसी कार्य के लिए प्रवृत्त कर देता है तो कभी कभी किसी स्वजन या राह चलते तक की छोटी सी प्रतिकूल टिप्पणी हतोत्साहित कर देती है . " टू बी या नॉट टू बी " का द्वंद्व दोराहे पर खड़ा कर देता है , है न ये मेरे मन मस्तिष्क का मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट . अब है जो है बहुत सुधार की गुंजाइश नहीं है ये मैं माने लेता हूं और क्या ?
इस से अटपटी पोस्ट और क्या होगी ?
आभारी हूं देवयानी का उसने एक दिन याद दिलाया था ," पर्सनल इज पॉलिटिकल......."
तो इस मनोदशा को मैं अकेला ही क्यों कर भुगतूं , बना दी पोस्ट .
सुप्रभात .
प्रातःकालीन सभास्थगित .
सह अभिवादन : Manju Pandya
सुमन्त पंड़्या
( Sumant Pandya.)
गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर . जयपुर .
16 मई 2015 .
#स्मृतियोंकेचलचित्र #जयपुरडायरी
दिल्ली से सुप्रभात 🌻
दो बरस पुरानी पोस्ट है । आज इसे ब्लॉग पर दर्ज करने जा रहा हूं । ये ट्राफिक जाम की समस्या कोई एक दिन की नहीं है , जब तब हो जाती है । आज ब्लॉग पर प्रकाशित ।
एस एफ एस फलैट्स , मुखर्जी नगर , दिल्ली
मंगल वार १६ मई २०१७ ।
---------------------------
No comments:
Post a Comment