असल क़िस्सा :
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बनास जन ** मेरे घर आये थे । उन्हें बड़े सवेरे उठकर जाना था ।मैंने पूछा 'क्या बड़े आदमी के साथ काफी पीओगे ?'
उन्हें जिज्ञासा हुई कि क्योंकर मै अपने को बड़ा आदमी कह रहा हूँ । जो एक पुरानी बात मैंने बताई वो इस प्रकार थी -
१.
उन दिनों मैं सेवा रत था ,केदार के विवाह में सम्मिलित होने के लिए बसवा जाने के लिए निकला था और इस क्रम में सिकंदरा के बस स्टैंड पर उतर कर आगे जाना चाहता था ।मैंने वहां बसवा के लिए बस की बाबत तलाश शुरु की ।
ठेले वालों ने सुझाव दिया कि मैं ओम प्रकाश के पास जाकर पूछ लूं जो चाय की स्टाल चलाता था और रोड़वेज का बुकिंग एजेंट भी था ।मैं ओम प्रकाश के पास पहुंचा ।संवाद शुरू हुआ :
बसवा के लिए बस लेनी है ।
*अभी एक बस बालाजी से आएगी और एक गंगापुर से जो भी पहले आएगी आपको मिल जाएगी ।
*टिकट दे दो ।
उत्तर मिला ." वो तो बस आने पर ही मिलेगा ।"
मैं मुड़ने लगा तो ओम प्रकाश बोला ,' बाबूजी आप बड़े आदमी हैं आप टिकट लेते ही रह जायेंगे और बस में जगह भर जाएगी ।आप तो बैठ जाना मैं आपको बस में ही टिकट दे दूंगा । "
इस सदाशयता से मैं खुश हुआ ,उसने मुझे बड़ा आदमी भी तो कहा था । बात आई गयी हो गई ।
२.
विवाह में सम्मिलित हो मैं जयपुर लौटा । जयपुर में पंड्या अस्पताल जाने के लिए बस स्टैंड पर खड़ा था ।इसी बीच एक रिक्शा वाला आ गया ,बोला :
" बाबूजी चलते हो क्या? "
उत्तर दिया * :" भाई मैं तो बस की इंतजार में था ।तुम ले चलो , महावीर मार्ग पर चलना है क्या लोगे ?"
उत्तर मिला :"* बाबूजी ! आप बड़े आदमी हैं ,जो चाहो दे देना ।"
मैं उसी रिक्शा से गया ।उतर कर मैंने बीस रुपये दिए ।
रिक्शा वाला बोला :
" 'पांच तो और देते । "
मैंने पांच और भी दिए । आखिर बड़े आदमी से ही तो कोई उम्मीद करता है ।बात आयी गयी हो गयी ।
३.
महीने भर बाद मुझे अलवर जाना था । इस निम्मित्त मैं नारायण सिंह बस स्टॉप पर बस की प्रतीक्षा में खड़ा था । बस आई और कंडक्टर बस से उतर कर टिकट खिड़की की ओर जाते हुए कह रहा था ,' टिकट लेकर बैठना , टिकट लेकर बैठना ।"
मैं कंडक्टर से अनायास पूछ बैठा :
" क्या मुझे भी खिड़की पर जाना पड़ेगा ??""
उत्तर मिला --" आप तो बड़े आदमी हैं ।आप बैठो ।आपका टिकट मैं ले आवूंगा । "
इस बार जब घर लौटा तो जीवन संगिनी से बोला ,'अब अपन भी बड़े आदमी हैं ।एक बार नहीं दो बार नहीं तीन बार ऐसा हो गया लोग बड़े आदमी कहते हैं ।
जीवन संगिनी बोली :
" आप बाईफोकल चश्मा लगते हो , बाल भी खिचड़ी हो गए हैं,चाल में भी फ़रक आ गया है ,लोग बूढ़े आदमी को बड़े आदमी कह देते हैं । आप अपने को हाई सोसाइटी वाले बड़े आदमी मत समझो "
गुड़मॉर्निंग . प्राइवेट कॉफी डन .
सुमन्त .
आशियाना आंगन , भिवाड़ी . 8 जुलाई 2015.
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आज की भोर में उठकर ये विचार आया कि एक बार को उस पोस्ट को दुबारा प्रकाश में लाऊं जो मैंने पहली पहली बार एक यशस्वी सम्पादक की प्रेरणा से फेसबुक पर दर्ज की थी .
जबानी अपने जीवन में घटे वाकयों की कहानी तो मैं लोगों को सुनाता रहा था , फेसबुक पर दर्ज करने का वो पहला ही मौक़ा था .. तब से अब में मेरे मित्रों की संख्या बढ़ी है . ये सोचकर ही ऐसा करने का मन बना .
चाहता तो ये भी हूं कि इसे एक ब्लॉग की शकल मिल जाए लेकिन तकनीकी जानकारी की कमी के चलते अभी ये संभव नहीं हो पा रहा .
जानकारों से उम्मीद करता हूं कि कभी इस काम के लिए समय निकाल कर मेरे बिखरे सामान को इकठ्ठा करेंगे . जानकार ढूंढने मुझे कहीं और नहीं जाना पडेगा . घर के बच्चे जमाने भर को ऐसी सलाह और सहायता देते आए हैं वे ये काम भी कर डालेंगे .
तो आगे आएगी पुरानी पोस्ट :
सुप्रभात .
सहयोग : Manju Pandya
सुमन्त पंड्या
Sumant Pandya.
8 जुलाई 2015 .
नोट : क्रम थोड़ा उलट गया है , भूमिका परिशिष्ट की तरह बाद में जुड़ गई है और पोस्ट पहले आ गई है , सुधि पाठक मेरे इस तनीकी अज्ञान को दरगुज़र कर बात को समझेंगे .
**बनास जन पत्रिका के यशस्वी संपादक डाक्टर पल्लव से अभिप्राय है .
--सुमन्त #बनासजन #बड़ेआदमी
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बडे आदमीजी बधाई।इस तरह बडे आदमी माने जाने के सुख का तो हर कोई बडा आदमी कायल अवश्य होगा मैं ऐसा मानता हूँ ।
ReplyDeleteआभार भाई साब । आप की टिप्पणी से गौरवान्वित हुआ ब्लॉग ।
ReplyDeleteसंध्या वंदन । 🔔🔔
एक बार फिर से पढ़ा और आनंदित हुआ. बधाई!
ReplyDeleteआभार अग्रवाल साब । 🌹
DeleteBade aadmi ko pranam. Kissa bahut mazedaar laga hamesha ki bhaari.
ReplyDeleteआभार गरिमा ।🌹
DeleteBade aadmi ko pranam. Kissa bahut mazedaar laga hamesha ki bhaari.
ReplyDeleteबार बार आभार गरिमा । ख़ुश रहो ।
ReplyDeleteकिस्सागोई के मामले में ये पहला क़िस्सा है जो मैंने सोशल मीडिया पर प्रकाशित किया था ।
ReplyDeleteआज फिर आपके सामने लाया हूं ।