जैन धर्मावलंबियो के बीच : दो .
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#बनस्थलीडायरी #sumantpandya
#दसलक्षणपर्व
मैंने अपनी पिछली पोस्ट में उस स्थिति का संकेत दिया था जब दोस्त बोलने को मजबूर कर देते हैं . ऐसा ही कुछ उस बार हुआ जब जैन साब ने फिर मुझे निवाई के जैन मंदिर पहुंचा दिया था .
महेंद्र जैन का फोन आया कि वे यू को बैंक बनस्थली से निवाई जाते हुए मुझे भी साथ लिवा ले जाएंगे और मुझे उनके साथ जाना पड़ा . जैन धर्मावलंबिओं का 'दस लक्षण पर्व' चल रहा था और मुझे सत्य के विषय में बोलना था. मैंने ये तो कहा मार्ग में दुपहिया पर जाते हुए :
" भाई मुझे पहले से बताते और तैयारी का थोड़ा मौक़ा तो देते ताकि मैं इस विषय में कोई साहित्य देख पाता या किसी समझदार साथी से इस विषय में राय ले पाता . अब कैसे और क्या बोलूंगा इसकी रूपरेखा कैसे बनेगी ....?"
पर अब तो जाना तय हो गया था और मैं 'सत्य' पर भाषण देने के लिए जा ही रहा था सो गया और अपने मन मन में सोचता रहा कि कैसे बात बनेगी . थोड़ी देर के लिए निवाई पहुंचकर जैन साब ने धर्मावलंबियों के लिए तैयार एक पुस्तिका भी देखने को दी जो उनके पर्व का महत्त्व बताने वाली थी , मैंने देख ली और उन्हें लौटा दी .
पहुंच गए बड़े जैन मंदिर और बिछायात पर जा बैठे हम लोग . मंदिर की छटा निराली थी . दीपावली की तरह जगमगा रहा था मंदिर और असंख्य जैनी लोग सभा में इकठ्ठा थे . एक बड़ा वर्ग उन लोगों का था जो व्यापारी अपनी अपनी दूकानें बंद कर मंदिर में आ बैठे थे . मुझे इन्ही सब लोगों को सत्य के बारे में कुछ कहना था . दस लक्षण पर्व के अनुसार वो दिन सत्य को समर्पित था . मेरे साथ ऐसा पहले भी होता आया था जब बगैर तैयारी के बोलने की नौबत आ गई और वही उस दिन भी हो रहा था .
आ गई मेरे बोलने की बारी और मैं बोलने खड़ा हुआ . मैंने स्वीकार किया कि मैं इस विषय में बोलने का किसी भी प्रकार से अधिकारी नहीं कहा जा सकता क्योंकि मेरा विषय "नीति शास्त्र" नहीं "राजनीति शास्त्र" रहा है और इसे ही आप थोड़ा कहा अधिक समझ सकते हैं . शाश्वत सत्य / निरपेक्ष सत्य और सापेक्ष सत्य की बात कर मैं सामने बैठे समुदाय की ओर देखने लगा और मुझे उनको देखकर ही यह कहने की प्रेरणा मिली कि लोक व्यवहार में सत्य कितना महत्वपूर्ण है . सत्य का कोई एक दिन नहीं होता . सत्य के तो सब दिन होते हैं . मैं अपनी बनते यह स्थापित करने में सफल हो गया कि दुनियादारी भी सत्य से चलती है , झूंठ से नहीं .
जैन लोगों के साथ अच्छी बीती वो शाम निवाई में *...
* जय जिनेन्द्र .
सहयोग और समर्थन : Manju Pandya.
#दसलक्षणपर्व
#जैनधर्मावलंबिओंकेबीच
सुप्रभात .
Good morning.
सुमन्त
आशियाना आँगन , भिवाड़ी .
31 मार्च 2015 .
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अपडेट : पुनः चर्चा योग्य प्रसंग .
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मैं जिस चर्चा की खोज में था फेसबुक ने अपने से ही याद दिला दी वो बात .
मेरी पोस्ट से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं आप की टीकाएं इस लिए इसे फिर से चलायमान करता हूं .
प्राइवेट कॉफी डन
सुप्रभात
Good morning.
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सुमन्त पंड्या .
@ Gulmohar शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .
31 मार्च 2016 .
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अपडेट :
गए बरस तक तो इस किस्से को फेसबुक पर दोहराया आज इसे ब्लॉग पर दर्ज किए देता हूं । आगे ये प्रयास भी करूंगा कि एक्सटेम्पोर बोलने के अपने सारे प्रसंगों को एक जगह इकठ्ठा करूं और ब्लॉग पर जोड़ देवूं ।
@ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर ।
शुक्रवार 3१ मार्च २०१७ .
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