ओवैसी वैल्डिंग के बाहर खड़े मित्र राम गोपाल शर्मा , किसी घडी का पुर्जा सुधरवाने आए थे . मिले तो बात याद आ गई जो उन्होंने ही बताई थी , कैसे वो घड़ीसाज बने . भतीजे की पैदाइश पर घर के आंगन में गर्भनाल गाड़ने का जिम्मा उन्हें मिला , प्रतिफल उन्हें एक घडी मिली . उस जमाने की मैकेनिकल चाबी वाली घडी यदा कदा वे एक पुराने घड़ीसाज के यहां सुधरवाने गए , घडी की मरम्मत देखते देखते वो इस मशीन के बाबत बहुत कुछ सीख गए और एक समय ऐसा आया कि वो एक कुशल घडीसाज बन गए . उन्हों ने विज्ञान में स्नातक की उपाधि ली , वायुसेना में सेवा की , सफल रहे वहां भी . इष्ट मित्रों की घड़ियां सुधारीं और वायु सेना से रिटायर होकर घर आ गए . मेरे पडोसी और उल्लेखनीय बात ये कि मेरे हम उम्र राम गोपाल शर्मा शिवाड़ एरिया में अपने घर के एक कैबिन में घड़ीसाजी करते हैं . मैं उपहार में मिली कई कलाई घडी बरतता हूं , जैसे बाहर जाने से पहले लोग अपनी मोटर कार वर्कशाप में दिखा लाते हैं वैसे मैं अपनी घड़ियां इन्हें दिखा लाता हूं ,एक जवाब दे जाय तो दूसरी कलाई पर आ जाय . ये तस्वीरें जयपुर से हमारे चलने के पहले की हैं.
समर्थन : Manju Pandya
सुप्रभात . सुमन्त आशियाना आंगन , भिवाड़ी . 14 मार्च 2015 . #घड़ीसाज
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दो बरस पहले आज ही। के दिन भिवाड़ी से फ़ेसबुक पर लिखी थी ये पोस्ट , आज लगा मेरे हम वयस्क मित्र राम गोपाल शर्मा बाबत ब्लॉग पर भी लिखा जाना चाहिए . फ़ेसबुक पर इस लिखत पढ़त की सराहाना हुई थी . सराहाना करने वालों में प्रमुख थे भाई साब नरेंद्र पंड़्या और मीडिया विशेषज्ञ विनीत कुमार .
आज इसे ब्लॉग पर सचित्र जोड़ने का प्रयास है .
@ जयपुर
मंगलवार १४ मार्च २०१७ .
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संध्या वंदन
नमस्कार 🙏
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