पैसे की बाबत : #sumantpandya. #भिवाड़ीडायरी
उस दिन भिवाड़ी आने से पहले कुछ सौदा लेने पड़ोस के बाजार चला गया . सुबह सुबह का बखत था . तमाम तरह के सामान से दूकान सजी हुई थी , युवा व्यवसाई काउंटर पर बैठा हुआ था . बाबूजी भी आए हुए थे और बैठे अखबार पढ़ रहे थे .सामान लिया पैसे चुकाए और इस प्रक्रिया में कुछ रुपए पैसे मोल के अलावा भी काउंटर पर बिखर गए . मैं आदत से मजबूर कुछ न कुछ बोल पड़ता हूं . आदतन बोला :
" ये सब यहीं रह जाने के हैं , साथ ले जाने की फैसिलिटी है नहीं . " और कुछ हवाला भर्तृहरि के नीति शतक का दिया कि धन की गति क्या होती है . मेरे जोड़ीदार बाबूजी तुरत बोले : " आजकल तो ए टी एम का ज़माना है , कहींभी ले जाओ साब "
इससे बिलकुल भिन्न बोला उनका बेटा जिसे मैंने युवा व्यवसाई कहा है :
" इनका दिमाग अभी भी ऐसे ही चलता है अंकल , आप कहां ले जाने की बात कर रहे हैं और ये 'कहां' ले जाने की समझ रहे हैं . " मुझे लगा जो बात बाबूजी मेरे अग्रज होकर न समझे ये छोटा कितनी आसानी से समझ गया . मैं भविष्य के प्रति आशान्वित हूं इसी लिए .
युवक इतना तक बोल गया : " इसीलिए तो ये लड़ाई करवाने के काम तक कर देते हैं. "
मुझे जल्दी थी , चला आया पर सोचता आया शायद इसीलिए तो भर्तृ हरि ने नीतिशतक के बाद वैराग्यशतक भी लिखा था . और ये सब मुझे पढने को मिला जीजाजी * के काव्यानुवाद से . * Moolchandra Pathak .
समीक्षाऔर समर्थन : Manju Pandya #पैसेकीबाबत सुप्रभात .
सुमन्त . आशियाना आंगन , भिवाड़ी . 20 मार्च 2015 .
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आज की टीप :
आज इस पोस्ट को एडिट करूंग़ा और फिर से प्रकाशित करूंग़ा , देखिएगा फिर एक बार
नमस्कार 🙏
@ गुलमोहर
सोमवार २० मार्च। २०१७ .
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इस पोस्ट के साथ कुछ सचित्र पूरक सामग्री जोड़नी अभी बाक़ी है , देखिए कब सम्पट बैठता है ।
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