Sunday, 19 March 2017

पैसे की बाबत : जयपुरडायरी

पैसे की बाबत :           #sumantpandya.      #भिवाड़ीडायरी

उस दिन भिवाड़ी आने से पहले कुछ सौदा लेने पड़ोस के बाजार चला गया . सुबह सुबह का बखत था . तमाम तरह के सामान से दूकान सजी हुई थी , युवा व्यवसाई काउंटर पर बैठा हुआ था . बाबूजी भी आए हुए थे और बैठे अखबार पढ़ रहे थे .सामान लिया पैसे चुकाए और इस प्रक्रिया में कुछ  रुपए पैसे मोल के अलावा भी काउंटर पर बिखर गए . मैं आदत से मजबूर कुछ न कुछ बोल पड़ता हूं . आदतन बोला :

" ये सब यहीं रह जाने के हैं , साथ ले जाने की फैसिलिटी है नहीं . " और कुछ हवाला भर्तृहरि के  नीति शतक का दिया कि धन की गति क्या होती है . मेरे जोड़ीदार बाबूजी  तुरत बोले : " आजकल तो ए टी एम  का ज़माना है ,  कहींभी ले जाओ साब "

इससे बिलकुल भिन्न बोला उनका बेटा जिसे मैंने  युवा व्यवसाई कहा है :

" इनका दिमाग अभी भी ऐसे ही चलता है अंकल , आप कहां ले जाने की बात कर रहे हैं और ये  'कहां' ले जाने की समझ रहे हैं . " मुझे लगा जो बात बाबूजी मेरे अग्रज होकर न समझे ये छोटा कितनी आसानी से समझ गया . मैं भविष्य के प्रति आशान्वित हूं इसी लिए .

युवक इतना तक बोल गया : " इसीलिए तो ये लड़ाई करवाने के काम तक कर  देते हैं. "

मुझे जल्दी थी , चला आया पर सोचता आया शायद इसीलिए तो  भर्तृ हरि ने नीतिशतक के बाद वैराग्यशतक भी लिखा था . और ये सब मुझे पढने को मिला जीजाजी * के  काव्यानुवाद से . * Moolchandra Pathak .

समीक्षाऔर समर्थन : Manju Pandya #पैसेकीबाबत सुप्रभात .

सुमन्त . आशियाना आंगन , भिवाड़ी . 20 मार्च  2015 .

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आज की टीप :

आज इस पोस्ट को एडिट करूंग़ा  और फिर से प्रकाशित  करूंग़ा  , देखिएगा  फिर एक बार 

नमस्कार 🙏

@ गुलमोहर 

सोमवार २० मार्च। २०१७ .

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1 comment:

  1. इस पोस्ट के साथ कुछ सचित्र पूरक सामग्री जोड़नी अभी बाक़ी है , देखिए कब सम्पट बैठता है ।

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