गए बरस की आज के दिन की बात
छोटी पोस्ट :😊 बड़ी बात . --------- ------------------- #sumantpandya कल दिन में तो इधर उधर जाता आता रहा और शाम को पहुंचा मोहल्ले की दवाई की दूकान आदर्श मेडिकल हॉल पर और मिला उसके प्रोप्राइटर शान्ति भाई से जो वक्त जरूरत के हिसाब से मेरी दवाइयां न केवल मंगवा कर देते हैं बल्कि गाड़ भीड़ में घर पहुंचा देने का भी माद्दा रखते हैं . मैं तो जहां जाता हूं दवाई वालों से याराना हो ही जाता है , वैसे उनकी विनम्रता कि शान्ति भाई मुझे बाबूजी कहते हैं और कुर्सी छोड़कर हाथ जोड़ कर अभिवादन करते हैं . मैं भी शेखी बघारने को अपने को " बल्क कंज्यूमर ऑफ मेडीसिन " कह देता हूं और देखो अजब बात के शान्ति भाई मेरे काम की तामील सबसे आखीर में करते हैं और खोटी आदत मेरी के मुझे चुप खड़े रहना नहीं आता . ऐसे ही दौर की एक बात बताता हूं , सुन लीजिए और प्रतिक्रिया दीजिए .
एक हम उम्र से ग्राहक मेरे बगल में खड़े अपनी दवाई के लिए तकाजा कर रहे थे और उनकी उद्विग्नता देखकर मैं उनसे पूछ बैठा :
" आप भी मेरी तरह बल्क कंज्यूमर ऑफ़ मेडीसिन हैं क्या ? "
वो डिफेंसिव हो गए और बोले : " नहीं नहीं मैं तो खाली ब्लड प्रेशर की दवाई लेता हूं और लेता हूं प्रोस्टेट की दवाई ."
अब मुझसे बोले बिना न रहा गया और मैं बोला :
" अरे महाराज वृद्धावस्था के आभूषण तो धारण किए हुए हो और मुझसे नहीं नहीं कर रहे हो , ऐसी क्या बात है ."
तभी हम दोनों की बात करामात सुनकर वहां खड़ा एक युवक बोल पड़ा :
" अंकल जी ऐसी बात है दवा और वृद्धावस्था का कोई सम्बन्ध नहीं है मैं ये ही दवा पिछले पांच साल से ले रहा हूं . "
और मैं ने अपनी ओर से एक सिद्धांत प्रतिपादित कर दिया : प्रतिपादित क्या किया दोहराया जो मैं अक्सर कहता हूं .:
" आजकल बच्चे कुछ ज्यादा ही जल्दी बड़े हो जाते हैं .।।।"
और बहुत बात जोड़नी थी इस पोस्ट में पर समय नहीं है अतः प्रातःकालीन सभा स्थगित करते हुए ..।। सुप्रभात . ------- सुमन्त पंड्या . @ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर . गुरूवार , 17 मार्च 2016 .
शांति भाई मेरे लिए दवा जुटाते हुए ।
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