Tuesday, 7 March 2017

झूठ बोले कौवा काटे : जयपुर डायरी 

झूठ बोले कौआ काटे : #जयपुरडायरी #sumantpandya ----------------------------------------- अभी कोई दो एक दिन पहले की ही बात है , दिन में राम स्वरूप जी सब्जी वालों की वैन घर के बाहर आई नहीं और वक्त जरूरत के हिसाब से बापू नगर के जनता स्टोर चौक में मुझे सब्जी लेने जाना पड़ा वहीँ की एक छोटी सी बात आज बताता हूं . उस दिन भी गहक के मिले ये लडके लोग और बोले ,’ बाबूजी आ गए ‘ सच कहूं इनसे मिलना भी मुझे बड़ा अच्छा लगता है , एक बारी तो मुझे ऐसा भी लगा था कि डेरी वाले राहुल की तरज़ पर ये मुझे ताऊजी ही कह रहे हैं पर फिर बात साफ़ हुई कि वो ‘ बाउजी ‘ कह रहे थे और मैं ताउजी सुन रहा था . खैर , अभी और बात . मैं नीचे खड़ा था कि दूकान में कुछ हुज्जत होती सुनी , मामला ये कि सब्जी वाले पिछली बार का कुछ बकाया भुगतान मांग रहे थे और ग्राहक का कहना था कि मिलती जुलती शकल का कोई और ग्राहक रहा होगा और के मैं तो आई ए एस ऑफिसर हूं . जाने दीजिए मामला जल्दी ही सुलझ गया पर मेरे कान खड़े हो गए कि सब्जी खरीदते भी किसी को आई डी बतानी पड़े क्या बखत आ गया . जब सब्जी खरीदते ग्राहक नीचे आ ही गए तो मैंने भी अपनी वय का लाभ उठाते हुए उनके कंधे पर हाथ रखकर एक ही सवाल पूछा ,” कौन साब हैं आप ? “ . खैर उन्होने अपना नाम , महकमा , घर का पता , रहवास और बहुत कुछ बताया और बदले में मुझसे भी परिचय पूछा जो बताया मैंने . बहर हाल वो जो अपना पता बता रहे थे वहां के ही मेरे एक दोस्त का का मैंने उल्लेख किया पर वो वाकिफ नहीं निकले , कुछ शक हुआ मुझे कि ऐसा कैसे ? खैर . मेरे घर के पते की जो बात चली वो होते हवाते छोटे भाई के नाम तक आ गई , जो मेरे दुबारा जयपुर आकर बसने के बहुत पहले से इस इलाके में रह रहा है . भाई ने शासन सचिवालय में लंबे अरसे तक काम किया था , उसे तो वो साब भी जानते निकले . और आगे मुझसे उन्होंने वही पूछा जो लोग पूछते हैं कि बापू नगर में आ बसने से पहले कहां था , क्या काम करता था . मैंने बनस्थली का जिक्र किया वो वाकिफ थे . खैर इस सब को छोड़ें अब वो बात जो मेरे मन में थी कौन सही था , सब्जी वाले लडके जो बकाया मांग रहे थे या वो साहब जो ग्राहक थे और किसी मिलती जुलती शकल वाले पर इल्जाम मढ़ रहे थे . कल को ये लड़के लोग मुझसे भी तो ऐसे ही पुराना बकाया मांग बैठेंगे तो क्या करूंगा , अब याददाश्त भी तो धोका देती है . खैर यही सोचता विचारता घर चला आया था पर प्रश्न बराबर मन में था कि सचाई क्या थी . घर आकर भाई को भी बताया कि अमुक विभाग के अमुक नाम के सज्जन मिले थे और जनता स्टोर के सब्जी वालों के पास क्या बात हो रही थी वो अपने को आई ए एस आफिसर बता रहे थे .और भाई ने वो बात ही ये कहकर रद्द कर दी कि उस विभाग में कही गई हैसियत का कोई आई ए एस है ही नहीं . और भी पड़ताल करवाई मैंने और मैं अभी हाल के लिए इस नतीजे पर पहुंचा कि सब्जी वाले लडके ही शायद सही थे और कल को वो मुझसे भी बिना बात पुराना बकाया नाम पर कोई रकम मांग बैठेंगे ये चिंता करने की कोई भी जरूरत नहीं है . एक प्रीमियर सेवा का नाम यहां किस इत्तफाक से आया है उसके अतिरिक्त स्पष्टीकरण की मैं आवश्यकता नहीं समझता . किसी को बदनाम करने की गरज से ये पोस्ट नहीं है इस लिए पड़ताल और पहचान मैंने छिपाई है . फोटो इस घटना के दिन की नहीं है ये भी कहे देता हूं . वो तो इत्तफाक से मेरे मोबाइल कैमरा में तब आ गई थी जब ये लडके बोले थे , “ बाबूजी हमारी भी फोटो खींचो .” मेरे इस पोस्ट में घटना विशेष के उल्लेख से कोई आहत हुआ हो तो क्षमा चाहूंगा , मैंने तो जो हुआ वो लिखा . मैंने कोई शाश्वत सत्य नहीं कहा है यहां केवल एक अंतरिम निष्कर्ष निकाला है . पता नहीं आज कल मेरे लिखे का बुरा बहुत मान जाते हैं लोग . इसीलिए तो थोड़े दिनों पहले मैंने लिखा था कि फेस बुक पर होना भी जंजाल हो गया . क्या कहा शीर्षक के रूप में फ़िल्मी गाने की पंक्ति क्यों ? अच्छा सवाल है आपका , बात ये है कि आजकल ऐसा चलन है . ~~~~ सुप्रभात . सुमन्त पंड्या .  समर्थन अपेक्षित : Manju Pandya @ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .    मंगलवार 8 मार्च 2016 . ******** #स्मृतियोंकेचलचित्र #जयपुरडायरी गुलमोहर कैम्प , जयपुर से सुप्रभात 🔔🔔 आज इस किस्से को थोड़ा एडिट कर ब्लॉग पर प्रकाशित करूंगा . - सुमन्त पंड्या  ८ मार्च २०१७ . -------------------------------------------------

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