Friday, 3 March 2017

हमारी विचारधारा 💐

    हमारी विचारधारा #sumantpandya #बनस्थलीडायरी

उस दिन बनस्थली में लूनिया  की दूकान पर  गेहूं पिसवाने गया था . लूनिया  बंधु  चक्की भी चलाया करते थे , अब भी शायद चलती होगी वहां चक्की. ये तब की बात है जब मैं  " घर घंटी " नहीं लाया था और परिसर से निकलकर गांव में अनाज पिसवाने  जाया करता था . उस दिन अनाज तौलने वाले तंगड़ में  एक व्यक्ति  विद्यापीठ छात्रावास से  लाई  रद्दी और कबाड़ तौल रहा था जिसमेँ एक छोटी सी पुस्तिका भी शामिल थी  जिसका शीर्षक होता है  " हमारी विचारधारा " . इस कृति के आरंभिक और संशोधित  संस्करणों का मैं भी साक्षी रहा और तंगड़  में पड़ी  यह पुस्तिका  मुझे आहत कर रही थी .

मैं बोला :  "अरे ये किताब तूने तंगड़ में कैसे तौल दी  ? "

तौलने वाला क्या करता  उसे तो जो सामान मिला था उसमे वो पुस्तिका भी थी , पर वो भी अच्छा बोला :     " आप के काम की हो तो आप ले लो . "

खैर उस दिन तो मैंने उठा ली थी वो  पुस्तिका और कहा था कि ऐसा तंगड़ तो बना नहीं जो इसे तौल सके , कहां तक सही था  मैं   ? आज भी बात याद आती है तो सोच में पड़ जाता हूं  . समर्थन :  Manju Pandya .

सुप्रभात

सुमन्त गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर . 4 मार्च  2015 .

#हमारीविचारधारा

#बनस्थली

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ब्लॉग पर प्रकाशित 

जयपुर     शनिवार ४ फ़रवरी २०१७ .

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