होली स्पेशल :😊 बनस्थली विनोद #बनस्थलीडायरी #sumantpandya
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हल्की फुल्की बात के लिए क्षमा मांगते हुए एक बहुत छोटा किस्सा बनस्थली प्रवास के आखिरी दशक का कहता हूं .
विद्या मंदिर के एस्टेब्लिशमेंट सेक्शन में महावीर नाम का एक युवा अनुभाग अधिकारी मुझ से अनायास बोल पड़ा :
“ ….. फूटरा लाग रिया छो !” ये उसका स्नेह अभिव्यक्त करने का तरीका था , मने वो कह रहा था कि आप सुन्दर लग रहे हैं .
और मैंने कहा था के “ कान ईन्डै ल्या .” मने कान इधर ला . छानै बात कहने - सुनने को .
और सभी कोई अपने अपने कान लेकर आ गए थे रहस्य की बात सुनने को और तब मैंने जो बात कही वो ये थी :
“ अरै जद म्हे आया छा न जद छोरी छापरियां म्हां पै मरबो करै छी , अब डोकरी डाकरियां मरबा लाग गी . “
ये स्वीकारोक्ति थी अपनी बढ़ती उमर और बदलते हालात की .
कोई दो दशक बीत गए मेरी यादों में वार्तालाप अभी ताजा है .
अब बच्चे तो जाने क्या कहेंगे ये किस्सा पढ़ सुनकर पर ऐसी बात तो हुई थी . मैंने आज बता दी आप अब जो कहो सो कहो !
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सुप्रभात .
सुमन्त पंड्या
समीक्षा : Manju Pandyaa
@ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .
बुधवार 30 मार्च 2016 , राजस्थान दिवस .
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चर्चा के लिए फिर से प्रसारित :
गुरूवार ३० मार्च २०१७ .
संयोग से इस बरस आज के दिन गणगौर है ।
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It's a interesting story but in a language that's not very much in use . But yes short and some
ReplyDeleteआभार सुभाष
Deleteआज फिर छेड़ा है ये किस्सा ।
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